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1 Jan 2026, Thu

जनसुनवाई में नही हो रही सुनवाई: कलेक्ट्रेट की छत पर कूदने पहुंची महिला, पत्रकार व पुलिस ने बचाया, जमीन पर कब्जे की शिकायत लेकर आई थी

देवास। मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में उस समय हड़कंप मंच गया तब एक महिला सुनवाई नही होने के कारण एक महिला आत्महत्या करने के लिए कलेक्टर कार्यालय की छत पर पहुंच गई। पीडित परिवार हाटपिपल्या में स्थित दादी की जमीन पर फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कर जमीन की अदला-बदली किए जाने संबंधी शिकायत को लेकर पोता धर्मेन्द्र पिता रमेश चंद्र जाति बागरी निवासी हाटपीपल्या अपने परिवार के साथ कलेक्टर के समक्ष आवेदन लेकर पहुंचे थे। इस दौरान संबंधित अधिकारी भी उपस्थित थे। कई बार जनसनुवाई के चक्कर लगाने के बाद भी पीडित परिवार की सुनवाई नही हो रही थी। सुनवाई नही होने के कारण धर्मेन्द्र की पत्नी आत्महत्या करने के लिए जनसुनवाई से बाहर निकलकर दौड लगाते हुए कलेक्टर कार्यालय की छत पर कूदने पहुंच गई। मौके पर मौजूद पत्रकारों व पुलिसकर्मियों ने समय रहते आशा को कूदने से रोक लिया। जमीन विवाद को लेकर वह अपने पति के साथ कई बार आवेदन दे चुकी है, लेकिन कार्रवाई नहीं होने से वह नाराज थी। इस घटना के दौरान पीडित परिवार ने जमकर अपनी मांग को लेकर चिल्ला-चिल्लाकर अधिकारियों व पटवारी पर गंभीर आरोप लगाए। घटना से अफरा-तफरी मच गई और प्रशासन हरकत में आया।आशा और उसके पति धर्मेंद्र बागरी का कहना है कि उनकी जमीन किसी और को फर्जी तरीके से दे दी गई है। वे कई महीनों से कलेक्टर कार्यालय में आवेदन दे रहे हैं, लेकिन अब तक किसी स्तर पर सुनवाई नहीं हुई। महिला ने कहा कि अगर आगे भी कोई सुनवाई नहीं हुई तो वह आत्मदाह जैसा कदम उठाएगी। कलेक्टर ऋतुराज सिंह ने बताया कि यह मामला काफी पुराना और जटिल है। शिकायतकर्ता को साल 1960 में जमीन का पट्टा जारी किया गया था, लेकिन उसी खसरा नंबर पर करीब 30-35 साल पहले आईटीआई का निर्माण हो गया।आशा के पति धर्मेंद्र बागरी ने 2024 से लगातार कई बार आवेदन दिए। 2024 में कलेक्टर को दिए आवेदन में बताया था कि दादी नबी बाई की जमीन पर किसी ने फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करवा ली है। 16 बीघा यह जमीन हाटपिपल्या में है। दादी का निधन साल 2014 में हो गया था। इसके बाद धर्मेंद्र रोजगार के लिए गुजरात चला गया। जब धर्मेंद्र लौटा तो पता चला कि उसकी दादी की जमीन किसी और के नाम पर हो गई है। धर्मेंद्र ने बताया कि जमीन के पुराने दस्तावेजों से छेड़छाड़ की गई है। धर्मेंद्र ने बताया कि अब अधिकारी इस जमीन को शासकीय भूमि बता रहे हैं। मामले की शिकायत सीएम हेल्पलाइन 181 पर भी की थी, लेकिन 10 महीने बाद भी कोई समाधान नहीं हुआ है। तहसील कार्यालय अब इस जमीन को बागली क्षेत्र में दिखा रहा है, जबकि असली जमीन हाटपिपल्या में ही है।