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31 Dec 2025, Wed

जब मातृत्व और प्रकृति का संगम हुआ: महिलाओं ने हरियाली को समर्पित किया माँ का नाम

देवास। गर्मियों की एक शांत सुबह, हल्की धूप की चादर ओढ़े ग्राम मगरादेह की गलियों में कुछ विशेष हलचल थी। महिलाएं सजी-संवरी, हाथों में छोटे-छोटे पौधे लिए, अपने घरों के आँगन और खेत की मेढ़ों की ओर बढ़ रही थीं। आज कोई साधारण दिन नहीं था, आज विश्व पर्यावरण दिवस था, लेकिन यहां इसे खास बना दिया गया था ‘‘एक पौधा माँ के नाम‘‘ जैसे आत्मीय अभियान ने। यह आयोजन नाबार्ड प्रायोजित एवं बाएफ लाइवलीहुड्स द्वारा संचालित ट्राइब्स वाडी विकास कार्यक्रम के तहत आयोजित हुआ, जिसमें गांव की मातृशक्ति ने एक संकल्प लिया, ‘‘हर घर में माँ के नाम एक पौधा और हर आँगन में हरियाली की सौगंध। कार्यक्रम की शुरुआत गांव की सरपंच कमला भार्गव ने पौधारोपण कर की। उन्होंने जब मिट्टी में अपने हाथों से पौधा लगाया, तो वह केवल एक पेड़ नहीं था, वह मातृत्व, ममता और प्रकृति के प्रति कर्तव्य का प्रतीक बन गया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, ‘‘माँ जीवन देती है, और धरती माँ पालन करती है। आज हम दोनों को एक साथ सम्मान दे रहे हैं।‘‘ इस अभियान में ग्राम की प्रत्येक महिला ने यह निश्चय किया कि कम से कम 10 पौधे अपने घर, खेत और आसपास लगाकर उनका संरक्षण स्वयं करेंगी। कार्यक्रम में बाएफ लाइवलीहुड्स की परियोजना टीम से उपस्थित के.के. सेन, एस.के. सूर्यवंशी एवं बबलू रावत ने पौधों की देखभाल, जलवायु-संतुलन और वाडी मॉडल के पर्यावरणीय लाभों पर विस्तार से जानकारी दी। यह दृश्य अत्यंत भावनात्मक था, जब महिलाएं अपने बच्चों को साथ लेकर पौधे लगा रही थीं, तो यह केवल एक कार्यक्रम नहीं था, यह भविष्य की पीढिय़ों के लिए जीवन का वचन था। गांव की एक महिला ने मुस्कराते हुए कहा, ‘‘मैंने यह पौधा अपनी माँ के नाम पर लगाया है… और हर दिन वाडी के पौधों के रख-रखाव के अनुरुप इसे पानी दूँगी, जैसे माँ मुझे जीवन देती थी।‘‘कार्यक्रम के अंत में सभी ने एक साथ शपथ ली, हम हर साल कम से कम एक पौधा अवश्य लगाएंगे, जल स्रोतों को स्वच्छ रखेंगे और पर्यावरण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।