देवास। मेंढकी रोड स्थित कलश गार्डन में रामांश मिश्रा के प्रथम जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिवस पर भक्तिमय माहौल में श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह महोत्सव का सुंदर प्रसंग प्रस्तुत किया गया। कथा वाचक पं. मनीष गौतम शास्त्री, बड़ा अखाड़ा, मैहर (म.प्र.) ने श्रद्धालुजनों को इस पावन प्रसंग का विस्तारपूर्वक वर्णन किया। आयोजक रमेश मिश्रा ने बताया कि कथा के दौरान सुमधुर भजनों की प्रस्तुति भी दी गई, जिससे श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। कथा स्थल पर श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह का सचित्र दृश्य भी प्रस्तुत किया गया, जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। महाराज श्री ने कहा कि श्रीमद्भागवत एवं अन्य पुराणों में श्रीकृष्ण और रुक्मणि के विवाह की कथा अत्यंत रोचक, प्रेमपूर्ण और प्रेरणादायक मानी जाती है। रुक्मणि विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। वह अत्यंत रूपवती, गुणवती, धर्मनिष्ठ और श्रीकृष्ण को हृदय से वरण कर चुकी थीं। रुक्मणि ने बचपन से ही श्रीकृष्ण की लीलाओं को सुना और उन्हें ही अपने मन, वचन और कर्म से पति रूप में स्वीकार कर लिया। परंतु उनके भाई रुक्मी ने उनका विवाह चंद्रभागा (चेदिराज शिशुपाल) से तय कर दिया, जिसे रुक्मणि नापसंद करती थीं। जब विवाह की तिथि निकट आई, तब रुक्मणि ने श्रीकृष्ण को एक ब्राह्मण के हाथों गुप्त प्रेम-पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने श्रीकृष्ण से आकर उन्हें “हर ले जाने” की प्रार्थना की। कथा की पूर्णाहुति कल सप्तम दिवस पर श्रीकृष्ण-सुदामा चरित्र के प्रसंग के साथ किया जाएगा। इस अवसर पर व्यासपीठ की आरती मुख्य अतिथि सुभाष शर्मा पूर्व महापौर, राजीव खंडेलवाल पूर्व अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी जिला देवास, राजेन्द्र सिंह ठाकुर पार्षद, संजय शुक्ला पूर्व अध्यक्ष ब्राह्मण समाज, पं, राकेश पाण्डेय, बंटी शर्मा प्रेस क्लब अध्यक्ष, अमिताभ शुक्ला पत्रकार, आशीष सर, अरविन्द तिवारी, सूरज मिश्रा, तुषार शर्मा द्वारा की गई। मुख्य यजमान के रूप में रमेश मिश्र एवं सुधा मिश्रा उपस्थित रहे।श्रद्धा, भक्ति और प्रेम से परिपूर्ण इस कथा आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।
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