देवास। मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद विकासखंड कन्नौद द्वारा आदि गुरु शंकराचार्य जी के जीवन दर्शन पर व्याख्यान माला का आयोजन स्थानीय शासकीय महाविद्यालय में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने आदिगुरु शंकराचार्य जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया। कार्यक्रम का उद्देश्य एवं स्वागत भाषण जन अभियान परिषद के विकासखंड समन्वयक नीरज द्विवेदी द्वारा दिया गया जिसमें कार्यक्रम की भूमिका बताई गई। सीएमसीएलडीपी की कक्षाओं के बारे में महाविद्यालय प्राचार्य प्रेमपाल जी ने विस्तार पूर्वक बताया। संचालन परामर्शदाता मंगलेश बैरागी ने किया। शंकराचार्य जी के जीवन के उद्देश्य एवं उनके द्वारा रचित स्तोत्र एवं जीवन दर्शन के सम्बन्ध में मा नर्मदा मंदिर कन्नौद के मुख्य पुजारी श्री के. के.कुंडल द्वारा गुरु शंकराचार्य जी के बारे में उद्बोधन द्वारा आदि गुरु शंकराचार्य जी के अद्वैत वेदांत के संबंध में बताया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता द्वारा अपने उद्बोधन में कहां कि आदि शंकराचार्य जी का जन्म केरल प्रांत के कालडि नामक स्थान पर हुआ। शंकराचार्य जी जन्म से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे तथा 2 वर्ष की उम्र में ही उनके पिता का देहांत हो गया था तथा माता के द्वारा उनका लालन-पालन किया। माता से उनका विशेष स्नेह था। 8 वर्ष की उम्र में संन्यास लेने की इच्छा प्रकट की। तब माता ने मना कर दिया तो स्नान करने गए नदी के घाट पर मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया। माता से कहा कि माता यदि तुम मुझे संन्यास की अनुमति दोगी तो यह मगरमच्छ मुझे छोड़ देगा। ऐसा कह कर माता से अनुमति लेकर 8 वर्ष की उम्र में संन्यास की दीक्षा ली। मप्र के ओंकारेश्वर में आपने गुरु श्री गोविंद पादचार्य के सानिध्य में आकर सन्यास ग्रहण किया तथा ओंकारेश्वर में कई ग्रंथों पर भाष्य लिखे संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधने के लिए चारों दिशाओं मेंचार मठों की स्थापना की आदि गुरु शंकराचार्य जी का जीवन हमारे लिए हमेशा प्रेरणास्पद रहेगा। संचालन श्री मंगलेश बैरागी ने किया। आभार प्रदर्शन परामर्शदाता संतोष जाट ने किया। कार्यक्रम में कन्नौद के विकासखंड समन्वयक, परामर्शदाता, नवांकुर संस्था के पदाधिकारी, प्रस्फुट समिति, सीएमसीएलडीपी विद्यार्थी, विशेष रूप से उपस्थित थे।

