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31 Dec 2025, Wed

महापौर निर्वाचन पर फैसला- गीता अग्रवाल के खिलाफ दायर याचिका हुई निरस्त

– न्यायालय ने विनोदनी व्यास की याचिका को पाया अप्रमाणित

देवास। वर्ष 2022 में हुए महापौर चुनाव को लेकर दायर की गई याचिका पर जिला न्यायालय ने फैसला सुना दिया है। प्रथम जिला न्यायाधीश महोदय देवास की अदालत ने शुक्रवार को महापौर गीता दुर्गेश अग्रवाल के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका कांग्रेस नेता विनोदनी व्यास द्वारा दाखिल की गई थी।महापौर श्रीमती अग्रवाल की ओर से पैरवी हाईकोर्ट एडवोकेट विजय आशुधानी एवं एडवोकेट शिरीष दुबे ने की। उन्होंने बताया कि महापौर चुनाव में कांग्रेस की प्रत्याशी विनोदिनी व्यास ने शिक्षा, सांप्रदायिक तनाव फैलाने के दुष्प्रचार, सांप्रदायिक पर्चे बांटने, ईवीएम, वीवीपेट में गड़बड़ी आदि के आरोप लगाए थे। साथ ही उन्होंने न्यायालय से आग्रह किया था कि गीता अग्रवाल का निर्वाचन अवैध घोषित किया जाए और उन्हें (विनोदनी व्यास) को विजेता घोषित किया जाए।मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप मप्र नगर पालिका निगम अधिनियम, 1956 की धारा 441 के अंतर्गत प्रमाणित नहीं हो पाए। लिहाजा न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया।महापौर श्रीमती अग्रवाल की ओर से वरिष्ठ अभिभाषक श्री दुबे, अधिवक्ता शिवांगी तिवारी एवं हर्षित गावशिंदे ने पैरवी की। उन्होंने अदालत के निर्णय को सत्य की जीत बताते हुए इसे जनादेश का सम्मान बताया।महापौर प्रतिनिधि दुर्गेश अग्रवाल ने निर्णय पर चर्चा के दौरान कहा कि महापौर चुनाव को लेकर कांग्रेस की प्रत्याशी विनोदिनी रमेश व्यास ने याचिका दायर की थी। उस याचिका पर विद्वान न्यायाधीश ने फैसला दिया है और उनकी याचिका को निरस्त कर दिया है। उन्होंने जो भी आरोप लगाए थे, वे बेबुनियाद थे। मेरा कहना है हमारे कांग्रेसी मित्र इस प्रकार का निराधार काम करते हैं, इससे माननीय न्यायालय का समय बर्बाद हुआ और उनका स्वयं का भी व हमारा भी समय बर्बाद हुआ। कांग्रेस का विजन ही नहीं है जनहित के कार्यों का। उन्हें तो आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करना है। आज माननीय न्यायालय ने जो निर्णय दिया है यह इस बात का सबूत है, कि कांग्रेस निराधार बातें करती है। इसके अलावा उनके पास कोई काम नहीं है।